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जानें चिकनगुनिया के लक्षण, बचाव और इलाज का सही तरीका

जानें चिकनगुनिया के लक्षण, बचाव और इलाज का सही तरीका
Chikungunya से डरें नहीं बल्कि इलाज का सही तरीका अपनाएं !

चिकनगुनिया टेस्ट: इस समय बुखार से पीड़ित रहने पर जब भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वे आपको कई तरह के ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इस ब्लड टेस्ट में आपके खून में चिकनगुनिया वायरस या एंटी बॉडीज की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। ब्लड टेस्ट की मदद से खून में चिकनगुनिया वायरस, वायरल न्यूक्लिक एसिड या वायरस स्पेसिफिक इम्यूनोग्लोबुलिन की मौजूदगी का पता चल जाता है।

डॉक्टर के पास कब जायें: जब भी आपको चिकनगुनिया से मिलते जुलते कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत ही डॉक्टर के पास अपना चेकअप कराने के लिए जायें। जैसा कि हम सब जानते हैं कि ये रोग मच्छर के काटने से फैलता है इसलिए मानसून के सीजन में इसके शिकार होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। शुरुवात के आठ दिनों के बुखार में ही आप अगर चेकअप करवा लेते हैं तो आसानी से इस वायरस का पता चल जाता है। 7-8 दिनों के बाद यह वायरस शरीर में एंटी-बॉडीज बनाने लगता है जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। इसलिए सबसे बेहतर है कि बुखार होने के पहले हफ्ते में ही इसकी जांच करवाएं। चिकनगुनिया को डेंगू या मलेरिया समझने की गलती न करें। चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया में अंतर को पहले ठीक से पहचान लें।

ब्लड टेस्ट की कीमत: दिल्ली में चिकनगुनिया में किये जाने वाले इएलआइएसए(ELISA) टेस्ट की कीमत लगभग 600 रूपए और आरटी पीसीआर टेस्ट की कीमत लगभग 1500 रूपए है। एंटी-बॉडीज और सीबीसी की रिपोर्ट तो उसी दिन मिल जाती है लेकिन आरएनए की रिपोर्ट आने में लगभग 2 दिन का समय लगता है।

चिकनगुनिया टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझें : ब्लड रिपोर्ट में लिम्फोसाइट की घटी मात्रा, प्लेटलेट्स की मात्रा, क्रीटोनिन की बढ़ी मात्रा और एसजीपीटी की बढ़ी मात्रा को चेक करना होता है।

कैसे इलाज कराएं: चिकनगुनिया वायरस इन्फेक्शन से बचने के लिए वैसे तो कोई ख़ास एंटीवायरल थेरेपी नहीं है। इसका उपचार लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। मरीज को अधिक से अधिक आराम करने को बोला जाता है और ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है। इसमें डॉक्टर बुखार और दर्द की दवा देते हैं हालांकि एक बार इसका शिकार होने पर कई हफ़्तों तक जोड़ों में दर्द रहता है। ऐसे मरीजों को खासतौर पर ऐसे माहौल में रहने की सलाह दी जाती है जिससे वे मच्छर के संपर्क में बिल्कुल भी न आ सके।

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अनुवादक: Anoop Singh

चित्र स्रोत: Shutterstock

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