क्यों नहीं बदलना चाहती लड़कियां शादी के बाद अपना सरनेम ?
क्यों नहीं बदलना चाहती लड़कियां शादी के बाद अपना सरनेम ?
लड़कियों को लगता है कि चूँकि शादी के बाद पति नाम नहीं बदलता तो लड़की क्यों बदले अपने नाम।
अभिनेत्री और राइटर ट्विंकल खन्ना ने ट्वीटर पर अपने एक फॉलोवर को जवाब देते हुए लिखा कि जन्म के समय उनका सरनेम खन्ना था इसीलिए वो हमेशा अपना नाम ट्विंकल खन्ना ही लिखती हैं। ट्विंकल का कहना है कि अक्सर लोग उन्हें बार-बार सलाह देते हैं कि चूंकि उन्होंने अभिनेता अक्षय कुमार के साथ शादी कर ली है इसलिए अब उन्हें अपना नाम ट्विंकल कुमार लिखना चाहिए न कि ट्विंकल खन्ना। इसी कड़ी में ट्विटर पर इस व्यक्ति ने भी ट्विंकल को अपना नाम बदलने की सलाह दे डाली। खैर उस व्यक्ति को भले ही ट्विंकल खन्ना ने अपना जवाब दे दिया लेकिन इस घटना ने फिर से इस बात पर बहस छेड़ दी कि लड़कियों को शादी के बाद अपना सरनेम या उपनाम बदलना चाहिए या नहीं?
हालांकि शादी के बाद सरनेम बदलने की बात हमारे समाज में आम मानी जाती है। जहां अक्सर लडकियां शादी के बाद इसे सहर्ष स्वीकार कर लेती हैं वहीं आजकल मलाइका अरोरा खान और ऐश्वर्या राय बच्चन जैसी हस्तियों की तरह बहुत-सी महिलाएं अपने मायके और ससुराल के , दोनों सरनेम इस्तेमाल करती हैं। लेकिन सवाल उठता है कि इस तरह नाम बदलने की प्रथा की इतनी ज़रूरत क्या है। तो इसके पीछे समाज के कुछ तर्क हैं जिनके मुताबिक लड़की को शादी के बाद नयी पहचान मिलती है। ससुराल में उसे बहु, भाभी, पत्नी और चाची जैसे नए रिश्ते मिलते हैं इसीलिए उसे अपने नए परिवार का नाम आगे बढ़ाना चाहिए और एक आज्ञाकारी और सबका ख्याल रखनेवाली औरत के तौर पर उसे अपने पति का सरनेम ही अपने साथ लगाना चाहिए।
इस पर कंटेंट राइटर गायत्री विश्वनाथन कहती हैं कि, ‘किसी को अधिकार नहीं है कि वह किसी लड़की को शादी के बाद नाम बदलने के लिए कहे। यह उसका अधिकार है कि वह जिस नाम के साथ पैदा हुई है अगर उसी नाम के साथ रहना चाहे तो रह ले। यह फैसला उसका ही होना चाहिए कि वह किस सरनेम के साथ अपना नाम लिखना चाहती है।
इसी सिलसिले में हमने और भी कई लड़कियों से बात की। उनमें से कुछ की हाल ही में शादी हुई है तो कुछ जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाली हैं। निकिता दीक्षित कहती हैं कि मेरे मंगेतर का सरनेम मुझे पसंद नहीं इसीलिए मैं कभी भी उसका सरनेम अपने नाम के साथ नहीं जोडूंगी। वैसे निकिता की इस बात पर अचानक से फिल्म ३ इडियट्स याद आती है। जहां फिल्म के अंत में दोस्तों को अपने यार रैंचो का असली नाम पता चलता है तो वहीं रैंचो की प्रेमिका पिया अपने नाम के साथ ‘फुन्सुक वांगडू’ लगाने के ख्याल से कह देती है कि मैं शादी के बाद अपना सरनेम नहीं बदलूंगी।
क्राफ्ट बिज़नेस से जुड़ी प्रेरणा कहती हैं कि हमारी कम्युनिटी में शादी के बाद पति के सरनेम के साथ पत्नी को ससुराल में नया नाम भी मिलता है। मैंने इसे आसानी से अपना लिया क्योंकि मुझे वैसे भी अपना सरनेम हर जगह बदलना ही था। तो साथ ही नाम बदलने में मुझे कोई दिक्कत महसूस नहीं हुयी। अब मुझे सब प्राजक्ता की बजाय प्रेरणा नाम से जानते हैं और मेरे ससुरालवालों ने भी मेरे इस फैसले के लिए मुझे काफी सम्मान और प्यार दिया।
वहीं नेहा कहती हैं कि मैंने मेहनत करके अपनी पढ़ाई पूरी की, करियर बनाया और अपनी पहचान बनायीं। मैं अपने हसबैंड के नाम से अपनी पहचान नहीं बनाना चाहती क्योंकि मेरी खुद की एक आइडेंटिटी बन चुकी है। चूंकि हमारा समाज शादी के बाद मुझसे उम्मीद करता है कि मैं अपना सरनेम बदलूं तो मैं उन सभी को यही कहना चाहती हूं कि मैंने शादी समाज के लिए नहीं की। मैं शादी करना चाहती थी इसलिए मैंने शादी की। तो अब ज़ाहिर है कि मुझे अपने पति के नाम की ज़रूरत नहीं।
वैसे कानूनी तौर पर नाम बदलने का मतलब है कोर्ट और गैजेट ऑफिस से लेकर तमाम बैंक एकाउंट्स और प्रॉपर्टी पेपर्स पर अपना नाम बदलना। इतने सारे बदलाव करने का सीधा मतलब है बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर मारना। कई महिलाएं इस वजह से जब तक ज़रूरी न लगे तब तक अपना नाम नहीं बदलती। तो वहीं कई औरतों को लगता है कि उन्हें अपने नाम से प्यार है और इसलिए वो कभी नहीं बदलेंगी। कुछ का यह भी कहना है कि मेरा पति नाम बदलेगा तो मैं भी बदलूँ। अब चूँकि उसने नहीं किया इसलिए मैं भी अपना नाम बदलने को तैयार नहीं हुई।
चित्र स्रोत: Facebook/Twinkle Khanna
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